Monday 1 April 2024
Holi 2024
Monday 29 January 2024
देश प्रेम
देश प्रेम
आओ, देश प्रेम पे आज बात करे
दिल के दरवाजे पे दस्तक दे दे
देश से आई दूर तो जाना
मेरा भारत बड़ा विशाल है
सरहद की हदो से दूर
मेरा भारत हर ओर वर्तमान है
भारत - एक सोच है,
या शायद संस्कार है ।
मुझ में जीता, तुम में जीता
हम सब की सहज पहचान सा,
ज्योग्राफी की परिभाषा से ऊपर भारत
हम सब में विद्यमान है ।
दिल टटोल के जो बात करे तो
एक अटूट बंधन सा दिखता है,
पर दिल ये बोले मुझको अब
Canada भी प्यारा लगता है ।
तिरंगा जहां मस्तक पे रहता,
Red n white भी खूब जचता,
हिंदी और नमस्ते की गरिमा
फ्रेंच इंग्लिश में भी दिखती hai
Fraser की धारा मुझको
गंगा सी पावन दिखती,
पेसिफिक की गुर्राती लहरें ओमकार का नाद सुनाती
हरी भरी इस वसुंधरा में
पावन पाक व फल जब उगते हैं
पंजाब के खेत खलिहान
सहज याद आ जाते हैं
Cypress की ऊंची चोटी पे
मेरे शिवा मुझे मिलते हैं
देश देश के लोग यहां
भारत की विविधता याद दिलाते है
Multicuisine खाना मुझे
गुजरात से चेन्नई का स्मरण
कराता है
Taylor Swift ke गानों में भी
सारेगामा की धुन रमती है
बढ़ते हुए high Tech India पे
हरदम मैं इतराती हूं
तो देख, कुदरत की मेहर यहां पे,
हर पल कृतज्ञ बन जाती
दूर से मुझे अब भारत
इंसानों का महा सागर लगता है
क्षमता में अति बलवान,
ये कई संस्कृतियों का जन्मस्थान दिखता है
परिपेक्ष जो बदल के देखू
भारत, मां के घर सा लगता है
प्यार, अपनापन और सुकून
सांसों में भर जाता है
मुझ में जीता, तुझ में जीता
हर दिल में भारत जीता है
Canada ki सुंदर वादियों में
मेरा भारत भी धड़कता है।।
शालू मखीजा
22nd Jan 2023
Tuesday 23 January 2024
चैन का secret
चैन का secret
सुबह के alarm ki आवाज थी
या शेयर मार्केट के Dip ki चीख
कुछ भी हो दोस्तों
आंख मीच के बस
अनसुना कर दिया मैंने
चाय की प्याली पे
ना खैर खबर हमने ली
बाते अब नोक झोंक बन गई
बिन लड़े ही हस्ते हस्ते,
हार मान ली मैंने
कुछ हासिल करने की चाहत
किताबों में दब गई
कार्य के मायने बदले
Payroll पे भी अब पॉलिटिक्स होता
आय व्यय के समीकरण को
अनदेखा कर दिया मेंने
घर आई तो देखा
काम फैला हर कोने में
सफाई और समझ
दोनों ही नदारद हो गए
मैं चैन की नींद सोई।
'ना होना' उपहार बन गया अब तो,
बड़ी देर से जाना मैंने
नजरंदाज करना ही अब
अंदाज बन गया मेरा ।।
- Shalu Makhija
Sunday 21 January 2024
मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…
मंजिल कहाँ रास्ता कहाँ…
सोचते सोचते सोच धूमिल हो गयी ।
खोजते खोजते खोज ही बदल गयी ।
Tuesday 16 January 2024
Hindu Heritage- Sanatan Dharma
आओ , हिन्दू धर्म पे आज बात करें,
धरोहर से वर्तमान को प्रकाशित करें ।
कैलाश के शिखरों में बसता
गंगा के प्रवेग में बहता
ओमकार की ध्वनि में रहता
सत्य सनातन ये समझाता
धर्म हमारा 'करुणा' कहलाता ।
चिता की राख से खूब संवरता
योगी की विरक्ति में सजता
वैदिक ज्ञान से मार्ग दिखाता
प्राणायाम से संगीत बनाता
धर्म हमारा 'योगा' कहलाता ।
पिता के कर्मठ हाथो में पलता
माँ की आस्था में यूं निखरता
मदद को उठे हर उस हाथ में
आती जाती हर एक साँस में
धर्म मेरा 'मानवता' सिखाता ।
रीति रिवाजों से ऊँचा ये
अर्थ अनुवादों से परे ये
अहंकार पे मंद मुस्काए
कर्म योग के पथ पे चलता
भक्ति और भिक्षा में बसता
धर्म हमारा 'सांख्य योग' समझाता ।
जो आया है , उसे जाना है
जो आज तुम्हारा है ,
वो कल किसी ओर का होना है
पहचानो उस ऊर्जा को खुद में,
जो हरदम अविरत बहती है
जान जो लोगे तुम उस
परम स्वरूप को,
तुम भी 'ईश्वर' बन जाओगे ।
पुकारो माँ को किसी भी नाम से,
क्या रूप उसका बदलता है
रचयिता ने रचना की है,
ईश्वर तो हर कण में बसता है।
सत्य सनातन ये समझाता,
धर्म हमारा 'निर्वाणा' कहलाता ।।
© Shalu Makhija
Nov 22, 2022