Tuesday 16 January 2024

Hindu Heritage- Sanatan Dharma

 

आओ , हिन्दू धर्म पे आज बात करें,

धरोहर से वर्तमान को प्रकाशित करें

 

कैलाश के शिखरों में बसता

गंगा के प्रवेग में बहता

ओमकार की ध्वनि में रहता

सत्य सनातन ये समझाता

धर्म हमारा 'करुणा' कहलाता

 

चिता की राख से खूब संवरता

योगी की विरक्ति में सजता

वैदिक ज्ञान से मार्ग दिखाता

प्राणायाम से संगीत बनाता

धर्म हमारा 'योगा' कहलाता

 

पिता के कर्मठ हाथो में पलता

माँ की आस्था में यूं निखरता

मदद को उठे हर उस हाथ में

आती जाती हर एक साँस में

धर्म मेरा 'मानवता' सिखाता

 

रीति रिवाजों से ऊँचा ये

अर्थ अनुवादों से परे ये

अहंकार पे मंद मुस्काए

कर्म योग के पथ पे चलता

भक्ति और भिक्षा में बसता

धर्म हमारा 'सांख्य योग' समझाता

 

जो आया है , उसे जाना है

जो आज तुम्हारा है ,

वो कल किसी ओर का होना है

पहचानो उस ऊर्जा को खुद में,

जो हरदम अविरत बहती है

जान जो लोगे तुम उस

परम स्वरूप को,

तुम भी 'ईश्वर' बन जाओगे

 

पुकारो माँ को किसी भी नाम से,

क्या रूप उसका बदलता है

रचयिता ने रचना की है,

ईश्वर तो हर कण में बसता है।

 सत्य सनातन ये समझाता,

धर्म हमारा 'निर्वाणा' कहलाता ।।

 

© Shalu Makhija

Nov 22, 2022

नए साल की शुरुआत


For the ending year, few words from my side,

थोड़े थोड़े रंग भर के
आखिर एक तस्वीर बन गई,
शब्दों को परोते परोते
ये देखो अब कविता बन गई ।

साल खत्म होने को आया तो
नई उम्मीदें बन गई,
मैंने पीछे जो मुड़के देखा
नए रिश्तों की एक डोर बन गई ।
खट्टे मीठे किस्सों से होके
मैं थोड़ी और समझदार बन गई,😊
यां हर दिन की नई कहानी 
मुझे फिर से विद्यार्थी बना गई ।

हाँ, जानती हूं की इस वर्ष भी
कुछ पत्ते  जवानी में झड़ गए,
जाने अंजाने इतिहास ने
कुछ और शहादातों के किस्से लिख दिए,
सही गलत के वो ही सवाल
फिर से उठ गए,
पर मैं ने ये जाना 
दिल में प्यार और करुणा
अब भी रोए ।

मैं तो जिंदगी को 
खुली बाहों से पुकारूं
आंखों में हसी,  दिल में प्यार 
को थोड़ा और भर लूं 
नए साल की इस चौखट पे
सर्जन की जादूगरी
को मैं सहज, सहर्ष स्वीकार लूं ।।

🙏🙏

30th December 2023